मेरी कवितायें
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कलियाँ जब मुस्कुराती है,
फूल बन जाती है।
काँटो के बीच मे सुकून बन जाती है,
सुबह से शाम तक,
भौरों से बतियाती है,
तितलियाँ आती है पराग रस पाती है,
उनसे सीखना होगा,
एक दिन की जिंदगी मे
क्या-क्या कर जाती है।
आंखो की ठंडक है,
बागो की जन्नत है,
पौधों की मन्नत है,
कलियाँ सिर्फ कलियाँ नहीं,
फूल बनकर जीने की चाहत है।
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