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सुबह का उजाला

मेरी कवितायें
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सुबह का उजाला
प्रतीक जिंदगी का
अंग है सूर्य का
शाम की ठंडक,
बढ़ाती है रौनक,
आसमां के पंक्षी,
उड़ते है सच ही,
देखने मे है रुचि,
माहौल बनाते पंक्षी,
रात की चाँदनी,
करती है दीवानी,
सफ़ेद सूट मे सजी,
जैसे परियों की रानी,
अमावश्या की रात,
करती है हताश,
देख कर ऐसा लगता,
बना नभ लाश।

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