मेरी कवितायें
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मैंने सोचा था प्यार है वो,
पर था एक छलावा ही,
बारिश का एक झोंका था,
जो आता और बह जाता है,
और मैंने सोचा हवा है वो,
चुप रहेगा पर साथ रहेगा,
जीने के लिए जरूरी हूँ
इसका एहसास कराएगा।
पर एक हल्का तूफान था वो,
किसी और का ख्वाब भी,
आकर जो उजाड़ गया,
ओर मैंने सोचा प्यार है वो।
पर वो भी एक मुसाफिर था,
वो भी एक अनोखा राही था,
मिल गया था अचानक कहीं,
जिंदगी या सहारा नहीं,
और मैंने सोचा प्यार है वो।
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