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रात

मेरी कवितायें
मेरी कवितायें
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निशा की काली साड़ी पर

बिखेर दिये किसी ने सितारे

तो कला से अपनी

सिल दिये सारे

फिर चुपके से उसपर

चंद की कढ़ाई कर

ओढ़ा दिया उसे मुझपर

इन सितारो से केसीएच ख्वाब चुन लूँ

उन ख्वाबो को पलको पे सजा लूँ

इन चंद सितारो सी

साज जाए ज़िंदगानी

देखे वो जो ख्वाब

हकीकत हो आज

ये कह इन मोतियो से

बंद कर लूँ अपनी आँख

कर के निशा से बातें

फिर सो जाऊ आज की रात

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